एकेडेमी ऑफ ओरल इम्पलांटोलॉजी की दसवीं कांग्रेस का आयोजन नई दिल्ली के द ग्रैंड में अगस्त, 2018 किया जाएगा।
लखनऊ। एकेडेमी ऑफ ओरल इम्पलांटोलॉजी अपनी दसवीं अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस का आयोजन करने जा रही है। इस फोरम पर ओरल इम्पलांट टैक्नोलॉजी के क्षेत्र में हुए ताजा घटनाक्रमों को शोकेस किया जाएगा। एकेडेमी ऑफ ओरल इम्पलांट के महासचिव डॉ अजय शर्मा ने इस आयोजन की जानकारी देते हुये बताया कि इस साल अगस्त में नई दिल्ली में हो रही इस कांफ्रेस में दुनियाभर से अनेक जाने माने डॉक्टर हिस्सा लेंगे। इनमें ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रिया, जर्मनी, इटली, दक्षिण कोरिया और स्पेन के डॉक्टर शामिल होंगे। इस आयोजन में शामिल होने वाले डॉक्टर अपने देश में हुए नवीन आविष्कारों और टैक्नोलॉजियों से लोगों को परिचित कराएंगे। डेंटल इम्पलांट में टेटिनियम की एक जड़ को सर्जरी से मसूड़ों में जबड़े में लगा दिया जाता है। इससे डेंटिस्ट नया दांत या ब्रिज वहां लगा सकता है। यह इम्पलांट किसी डेंटचर की तरह खुला नहीं मिलता। डेंटल इम्पलांट से ओरल हैल्थ में भी मदद मिलती है क्योंकि इसमें ब्रिज की तरह नए दांत को दूसरे दांतों पर नहीं टिकाया जाता। कुछ साल पहले तक उम्रदराज लोगों मं इम्पलांट करना करना जोखिम भरा माना जाता था क्योंकि यह धारणा थी कि 65 की उम्र के बाद जबड़े का आकार बदल जाता है और जख्म भरने की प्रक्रिया भी धीमी हो जाती है। मसूड़ों की बीमारियों से भी खतरा था जिससे इम्पलांट प्रभावित हो सकता था। हाल के अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि उम्रदराज लोगों के लिए भी इम्पलांट युवा मरीजों की तरह ही सफल होता है। इससे एक बड़ी आबादी के लिए नए दांत लगाने का रास्ता खुल गया है और उन्हें अतिरिक्त केयर की भी जरूरत नहीं है। समझा जाता है कि उम्रदराज लोगों ने अगर इम्पलांट कराया है तो उन्हें नियमित रुप से डेंटल चेकअप कराना जरूरी है। एकेडेमी ऑफ ओरल इम्पलांट के महासचिव डॉ अजय शर्मा ने कहा-‘‘पिछले पांच दशक से इम्पलांट अस्तित्व में है। लेकिन हाल के दस वर्शों में इम्पलांट ने लोकप्रियता हासिल की है क्योंकि इससे मरीजों में कई प्रकार के विकार नहीं आते और उन्हें हैल्थकेयर में मदद मिलती है। इस समय की स्थिति यह है कि डेंटल इम्पलांट ने डेंटल इंडस्ट्री का स्वरुप बदल दिया है और बदलाव बहुत तेजी से आ रहे हैं। शुरू में इसे महंगा माना जाता था लेकिन अब डेंटल इम्पलांट को तरजीह जा रही है। इम्पलांटोलॉजी में हो रहे नए घटनाक्रमों को देखते हुए अब मरीजों के सामने ढीले ढाले दांतों के बजाए मजबूती से टिके नए और खूबसूरत दांतों के विकल्प खुल गए हैं।